कुरान शरीफ के संदेश को तमाम बांग्ला भाषी लोगों तक पहुंचाने के लिए इसे अरबी भाषा से बांग्ला भाषा में ट्रांसलेट किया गया था
बिहार,भागलपुर। भागलपुर के आदमपुर चौक स्थित बंगीय साहित्य परिषद पुस्तकालय में बांग्ला भाषा में लिखी गयी एक से बढ़ कर एक दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है। पुस्तकालय में 1886 में बांग्ला भाषा में प्रकाशित दुर्लभ कुरान शरीफ की प्रति अब तक सहेज कर रखी गयी है। पुस्तकालय के अध्यक्ष स्नेहेश बागची ने बताया कि बांग्ला भाषी कुरान शरीफ की तीन प्रति हमने सहेज कर रखी है। पहले एडिशन का प्रकाशन कोलकाता में 1886 में किया गया था। कुरान शरीफ की दूसरी प्रति चौथे एडिशन की है, जिसका प्रकाशन 1936 में हुआ था तथा तीसरी प्रति का प्रकाशन आजादी के समय हुआ था।
कुरान का पहला एडिशन 800 पेज में
कुरान का पहला एडिशन 800 पेज में गिरिश चंद्र चक्रवर्ती द्वारा प्रकाशित व मुद्रित की गयी थी। पेज की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि अब तक पेज और इसकी छपाई जस की तस है। कुरान को जन-जन तक पहुंचाने को किया बांग्ला में अनुवाद1886 में कुरान शरीफ को बांग्ला भाषा में क्यों अनुवादित किया गया। इसकी विस्तृत चर्चा पुस्तक के संपादकीय आलेख में प्रकाशक गिरिश चंद्र चक्रवर्ती ने किया है।
बांग्ला भाषा में रामायण, स्कंद पुराण और महाभारत की प्रति भी मौजूद
उन्होंने लिखा है कि कुरान शरीफ के संदेश को तमाम बांग्ला भाषी लोगों तक पहुंचाने के लिए इसे अरबी भाषा से बांग्ला भाषा में ट्रांसलेट किया गया। बंगाल के करोड़ों लोगों को बांग्ला में छपे कुरान के संदेश को समझने में आसानी होगी। बांग्ला भाषा में रामायण, स्कंद पुराण और महाभारत की प्रति भी मौजूद है। बंगीय साहित्य परिषद के सचिव अंजन भट्टाचार्य के अनुसार पुस्तकालय का संचालन 1905 से हो रहा है। इस पुस्कालय को संवारने में कवि रवींद्रनाथ टैगोर और शरतचंद चट्टोपाध्याय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पुस्तकालय मे नटवर चक्रवर्ती द्वारा 1911 में प्रकाशित व मुद्रित स्कंद पुराण भी रखी हुई है।