भारत के उपनिषद व वेद काफी समृद्ध हैं. असल मायने में उपनिषद (Upnishad) वेद और Yoga में ही जीवन का असली रहस्य छिपा है, जिसने योग (Yoga) को समझ लिया उसने स्वयं को समझ लिया। हमारी गीता सर्वश्रेष्ठ उपनिषदों में से एक है और अब समय आ गया है जब हमें उपनिषदों (Upnishad) पर भी काम करना चाहिए।
‘डिकोडिंग द योग सूत्र ऑफ पतांजलि’ का विमोचन
डॉ कर्ण सिंह दिल्ली के त्रिमूर्ति भवन में योग (Yoga) पर आधारित किताब ‘डिकोडिंग द योग सूत्र ऑफ पतांजलि’ के विमोचन समारोह में बतौर अतिथि बोल रहे थे. इस किताब के लेखक योगगुरु आचार्य कौशल कुमार और जय सिंहानिया हैं. इस मौके पर डॉ. कर्ण सिंह ने योगगुरु कौशल कुमार व जय सिंहानिया को बधाई दी और साथ ही उपनिषदों (Upnishad) पर भी काम करने का आग्रह किया।
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इसी कड़ी में विशिष्ट अतिथि मेदांता हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहान ने बताया कि वह खुद 33 वर्षों से योग (Yoga) कर रहे हैं. डॉ त्रेहान ने कहा कि योग (Yoga) से मन को जो शांति मिलती है, वह दूसरी किसी विधा में नहीं मिलती। डॉ. त्रेहान ने जिस उम्र में लोग क्रिप्टो, मेटा मे उलझे हैं. ऐसे समय में इस तरह की किताब पर चर्चा करना और ऐसी किताब लिखना बहुत ही सराहनीय है. उन्होंने योगगुरु कौशल कुमार व जय सिंहानिया को बधाई दी और आगे भी इस तरह के प्रयास करते रहने का आग्रह किया।
योगगुरु कौशल कुमार ने योग (Yoga) के बारे में दी जानकारी
कार्यक्रम को आगे सम्बोधित करते हुए योगगुरु कौशल कुमार ने बताया कि उनकी योग (Yoga) यात्रा वर्ष 1988 से शुरू हुई जो अभी तक चल रही है। उन्होंने पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि यह किताब योग (Yoga) पर आधारित पहला ग्रंथ है. उन्होंने यह भी बताया कि संस्कृत में योग (Yoga) के 63 अर्थ हैं, ऐसे में योग बहुत ही व्यापक है इसे नई पीढी को समझने की जरूरत है. लेखक जय सिंहानिया ने बताया कि इस किताब को लिखते समय उन्हें किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जय ने कहा कि आगे भी वह अपना प्रयास इसी तरह जारी रखेंगे। इस अवसर पर एस्टर इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरविन्द सिंघानिया, फैब इंडिया के चैयरमेन विलियम बिसेल, शिवानी मोदी, सीके बिडला, असिंत सिंह आदि मौजूद रहे।
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