मुंबई, 6 जुलाई 2025: महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेता आशीष शेलार ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर तीखा हमला बोला है। ठाकरे बंधुओं के हालिया संयुक्त रैली और तीसरी भाषा नीति के विरोध को शेलार ने ‘चुनावी हार का डर’ और ‘राजनीतिक अवसरवादिता’ करार दिया। उन्होंने राज ठाकरे के विवादास्पद बयान, जिसमें उन्होंने गैर-मराठी लोगों को पीटने की बात कही, की तुलना पहलगाम आतंकी हमले से की, जहां धर्म पूछकर हत्याएं की गई थीं।

शेलार ने कहा, “पहलगाम में धर्म पूछकर गोली मारी जाती है, यहां भाषा पूछकर मारना हो रहा है। क्या इससे आपको पीड़ा नहीं होती? मराठी-गैर मराठी के नाम पर हिंदुओं को पिटवाना बीजेपी बर्दाश्त नहीं करेगी।” यह बयान राज ठाकरे के उस कथन के जवाब में था, जिसमें उन्होंने कहा था, “गैर-मराठी को पीटो, लेकिन वीडियो मत बनाओ।”
ठाकरे बंधुओं पर ‘दोहरे रवैये’ का आरोप
शेलार ने ठाकरे बंधुओं पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “आपके बच्चे बॉम्बे स्कॉटिश जैसे स्कूलों में तीसरी भाषा सीखते हैं, वहां आपको कोई आपत्ति नहीं। लेकिन गरीब के बच्चे तीसरी भाषा सीखना चाहें तो आपको दिक्कत होती है।” उन्होंने यह भी तंज कसा कि ठाकरे बंधु फिल्मों में खान जैसे नामों का सहारा लेते हैं और अपने मंचों पर जावेद अख्तर को बुलाते हैं, लेकिन मराठी अस्मिता के नाम पर राजनीति करते हैं।
रैली को बताया ‘महानगरपालिका और महत्वाकांक्षा’ का खेल
शनिवार को मुंबई में आयोजित ‘आवाज मराठिचा’ रैली में उद्धव और राज ठाकरे ने 20 साल बाद एक मंच साझा किया था। इस रैली को तीसरी भाषा नीति (हिंदी को अनिवार्य करने का प्रस्ताव) के खिलाफ जीत के जश्न के रूप में पेश किया गया। शेलार ने इसे ‘मराठी अस्मिता’ के बजाय ‘महानगरपालिका और महत्वाकांक्षा’ का खेल करार दिया। उन्होंने कहा, “उद्धव का भाषण रुदाली जैसा था, और राज का भाषण अधूरा और अप्रासंगिक था।”
भाषा विवाद और हिंसा की पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र में भाषा विवाद तब गरमाया जब अप्रैल 2025 में सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा। इस फैसले का तीव्र विरोध हुआ, जिसके बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया। इस बीच, मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा गैर-मराठी भाषियों, खासकर हिंदी भाषियों, पर हमले की घटनाएं सामने आईं। भायंदर में एक दुकानदार को मराठी न बोलने के लिए कथित तौर पर पीटा गया और इसका वीडियो वायरल हो गया।
शेलार ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी मराठी गौरव की रक्षा करेगी, लेकिन गैर-मराठी निवासियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने राज ठाकरे के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर टिप्पणी को ‘हार के डर’ का प्रतीक बताया।
राजनीतिक गठजोड़ और भविष्य
शेलार ने ठाकरे बंधुओं के एकजुट होने को पारिवारिक पुनर्मिलन तो बताया, लेकिन इसे राजनीतिक हताशा से प्रेरित कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी को इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे भविष्य में गठबंधन करते हैं या नहीं, लेकिन मराठी अस्मिता के नाम पर हिंसा और विभाजन की राजनीति स्वीकार्य नहीं होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों को प्रभावित कर सकता है। ठाकरे बंधुओं की रैली को बीजेपी ने अवसरवादिता और सत्ता की भूख के रूप में देखा, जबकि विपक्षी दलों ने इसे मराठी अस्मिता की जीत के रूप में पेश किया।
महाराष्ट्र में भाषा और हिंसा का यह मुद्दा न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी चुनौती बन रहा है। शेलार ने स्पष्ट किया कि बीजेपी मराठी और गैर-मराठी दोनों के हितों की रक्षा करेगी और ऐसी किसी भी राजनीति का विरोध करेगी जो समाज को बांटने का प्रयास करे।
रिपोर्ट :सुरेंद्र कुमार
