एक अच्छा शिक्षक जीवन में नैतिकता और अनुशासन सिखाता है..

एक अच्छा शिक्षक सकारात्मक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देकर, प्रभावी अनुशासनात्मक रणनीतियों को अपनाकर और सामाजिक-भावनात्मक शिक्षण सिद्धांतों को एकीकृत करके छात्रों को अनुशासन और नैतिकता सिखाता है। यह दृष्टिकोण पारंपरिक दंडात्मक उपायों से आगे बढ़कर छात्रों में आत्म-जागरूकता, ज़िम्मेदार निर्णय लेने की क्षमता और एक मज़बूत नैतिक दिशा-निर्देश विकसित करता है। शैक्षिक संदर्भ में अनुशासन केवल दंड देने के बारे में नहीं है, बल्कि छात्रों को उनकी गलतियों को समझने और सुधारने के लिए मार्गदर्शन करने के बारे में है, जो अंततः विकास और आत्म-सुधार को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य छात्रों को अपनी गलतियों को पहचानने, आत्मनिरीक्षण करने और सामाजिक मानदंडों और शैक्षिक लक्ष्यों के अनुरूप व्यवहार विकसित करने में मदद करना है। दूसरी ओर, नैतिकता में नैतिक व्यवहार, नियमों का पालन और स्वयं तथा दूसरों के प्रति ज़िम्मेदारी की भावना विकसित करना शामिल है। अनुशासन और नैतिकता का एकीकरण छात्रों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जो उन्हें कक्षा से परे जीवन के लिए तैयार करता है।छात्रों को उनकी भावनाओं, विचारों, मूल्यों, शक्तियों और सीमाओं को समझने में मदद करना। इससे सहानुभूति और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे छात्र चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर पाते हैं।

-डॉ. माया एस एच

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