नारी व्यथा

नारी व्यथा

मैं चिड़िया हूँ उन्मुक्त गगन की,
लेकिन उड़ न पाती हूँ,
सारा दिन दिल मचलाता रहता,
पर घूम कहां मैं पाती हूँ। मैं चिड़िया ……..

कहते सब आजाद हो तुम,
पर आजाद कहाँ रह पाती हूँ,
मन की गाथा मन में गाकर,
मन ही मन मुस्काती हूँ। मैं चिड़िया ……..

कहने को ये गगन हमारा,
पर देख कहां मैं पाती हूँ,
जब चाहती हूँ गगन देखना,
तब डर से थर्राती हूँ। मैं चिड़िया ……..

कितने जुल्म होते हैं मुझपर,
लेकिन सब सह जाती हूँ,
कडी मेहनत से बदन टूटता
फिर बोल कहां मैं पाती हूँ। मैं चिड़िया ……..

न बोलूं तो सहना पड़ता,
बोलूं तो मुँह बोली कहलाती हूँ,
खुले आसमान में अंधी बन मैं,
अपने घर में उजाला लाती हूँ। मैं चिड़िया ……..

आपका :- प्रियब्रत कुमार
ग्राम + पोस्ट :- सौंताडीह
थाना :- बेलहर

जिला :- बांका (बिहार)

संक्षिप्त जीवन परिचय :—

मैं प्रियब्रत कुमार बिहार राज्य के बांका जिला अंतर्गत बेलहर प्रखंड के सौंताडीह ग्राम का निवासी हूँ। मैंने बिहार बोर्ड से बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त किया। अंग्रेजी से स्नातक , परास्नातक एवं बी.एड. की उपाधि हासिल करने के पश्चात वर्तमान में एम.एड. द्वितीय वर्ष का छात्रा हूँ।

पढ़ना एवं पढ़ाने के साथ – साथ कविता लिखना, साहित्यिक पुस्तकें पढ़ना मेरी लालसा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!