धर्म रक्षक संस्कृति

भारतवर्ष संसार की सभ्यता का आदि भंडारण है
यहां का जीवन सरल, सहज, सुलभ व प्राचीन है।
देश श्रद्धा, भक्ति, विश्वास व निश्चय से भरा हुआ है
संस्कार, संस्कृति, और ज्ञान विज्ञान के शिखर पे है।

भारतवर्ष का सम्मान, प्रतिष्ठा हिंदू धर्म में निहित है
हिंदू धर्म यानि मानवीयता का गौरव, मान आदर्श है।
मानव की शाश्वत आशाएं है, संत बनाएं घनीभूत है
ऋषियों की गंभीरता, हृदयंगम करने का जज़्बा है।

दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करना उचित होता
जैसा किसी व्यक्ति को खुद के लिए अपेक्षित होता।
हमारा कर्तव्य है धर्म के आचरण को अमल में लाना
धर्म सारांश की सीख सुखद, शांत, सर्वहितकारी है।

हमें जीवन रक्षा और सुखों के उपभोग की चाहत है
इसी में अतीत उज्जवल सुखी और शांतिमय रहा है
हमें दृढ़ सिद्धांतों, पुष्ट संस्कारों को ले बढ़ाना होगा
वर्तमान में सारे विश्व को यही सोच अपनाना होगा।

भारतवर्ष संसार की सभ्यता का आदि भंडारण है
यहां का जीवन सरल, सहज, सुलभ व प्राचीन है।
‘वसुदेव कुटुंबकम’ का आदर्श जागृत करना होगा
अतीत के पुनर्स्थापन से संसार का कल्याण होगा।

डॉ. मनीष दवे, महालक्ष्मी नगर, इंदौर

परिचय::
इनका नाम डॉ. मनीष दवे है। यह मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के रहने वाले प्रतिष्ठित शिक्षाविद एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इन्होंने पैतीस वर्षों तक सहायक प्राध्यापक के रूप में व उनमें से पच्चीस वर्ष प्राचार्य के रूप में कार्य किया है। इनके कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में लेख, कविताएं, लघुकथाएं, कहानियां, फीचर्स आदि प्रकाशित हैं। डॉ. मनीष द्वारा लिखित एक काव्य संग्रह अभिज्ञान परिणीति प्रकाशित है, साथ में 20 साझा काव्य संकलन एवं एक नईदुनिया के प्रकाशन ‘म से मां’ लधुकथा संकलन प्रकाशित है। इनके उत्कृष्ट लेखन हेतु कादम्बरी साहित्य सम्मान, शिक्षक रत्न सम्मान, झाना ग्लोबल लिटरेसी सर्कल अवार्ड 24, साहित्य गौरव सम्मान एवं अन्य कई साहित्यिक पुरस्कार भी प्राप्त चुके है।

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