मन में दीप जलाना

कितनी भी मुश्किल आ जाए जरा नहीं घबराना
आशा और विश्वास का बच्चों मन में दीप जलाना
परीक्षाएं आती हैं, वे तो रोज- रोज आएंगी
लेकिन जीवन जीने का तुमको पाठ सिखलाएंगी
परीक्षा के दबाव में बच्चों तुम बिल्कुल न आना
हिम्मत और साहस का अपने मन में दीप जलाना

इम्तिहान में अव्वल आने का दबाव तुम पर आएगा
सबसे ऊपर रहने का मन पर तनाव छाएगा
हाथ थामकर संयम का अपने डर को तुम हराना
शक्ति और उमंग का अपने मन में दीप जलाना

जीवन के प्रमाद रोज ही राहों में आएंगे
भरमाकर वे बच्चों तुमको लक्ष्य से भटकाएंगे
लक्ष्य पाने को निरंतर अपने कदम बढ़ाना
दृढ़ता और मेहनत का अपने मन में दीप जलाना

सफलता और असफलता से फर्क नहीं पड़ता है
बनता महान वही जो नित नए संघर्षों से लड़ता है
गिर जाओ तो बार- बार फिर उठकर तुम दिखलाना
सफलता की नई परिभाषा दुनिया को सिखलाना

डॉ रचना चेतन मनहर

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