प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं
(ठिठोली–शृंगार)
अपनी सहधर्मिणी के साथ, दशकों से रहते हुए, अत्यंत निकट से मैंने अनुभव किया कि उसकी आँखें बोलती हैं। जो मनोदशा, भावना शब्दों से निरूपित नहीं होतीं, मात्र उसकी आँखें देखने से ही चित्रित हो जाती हैं। प्रस्तुत है एक छोटी सी कविता, किस प्रकार नयन, ऋतुओं की संज्ञा से मनोभाव को, मन तरंगों को प्रकट करते हैं।
दशकों से, क्षण- क्षण , कभी निकट से, कभी दूर से,
मैंने देखा हैं तुम्हारी आँखों को बहुत समीप से।
अनकहे शब्दों में, ये सारे भेद खोलती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
आशाओं से ओतप्रोत, सपनों से भरी ये आँखें,
अपनी ही भाषा में, अनंत स्नेह उड़ेलती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
आक्रोशित अंगारों सी आँखें,
अग्नि-सी प्रज्ज्वलित, लपटों की भाषा में,
ज्वलंत प्रश्न कई पूछती हैं, प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
गहरी घाटी-सी विस्तृत आँखें,
शून्य, शिथिल, निशब्द, निश्चल, पुस्तक के पृष्ठ खोलती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
सागर-सी नीली गहरी आँखें, शांत पटल, स्पष्ट दर्पण बन,
इंद्रधनुष के रंगों में, मेरा प्रतिबिम्ब उकेरती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
नीर भरी सजल आँखें, कुछ झुकीं-झुकीं, झर-झर बहती,
सब कुछ सहती, सहमी रहती, करुणा का बाँध तोड़ती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
विकट धनुष-सी आँखें, तनी-तनी, तरकश से तीखे बाणों के,
प्रश्नों से मुझे बेधती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
चहकती-मटकती सी आँखें, आमंत्रण जैसी मुद्रा में,
छू कर मेरे अंतर्मन को, मन से संबंध जोड़ती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
चपल-चंचल, चितवन सी आँखें,
पल में शांत, पल में मुखरित,
मेरे मन को पुनः टटोलती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
अनकहे शब्दों में, कई भेद खोलती हैं,
प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं।
परिचय – हर्ष वर्धन गोयल
मै हर्ष वर्धन गोयल इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक दशक से अधिक से सिंगापुर में कार्यरत हूँ हिन्दी और संस्कृत भाषा के प्रति मेरी विशेष रुचि है मैंने सिंगापुर में हिन्दी परिवार सिंगापुर के संस्थापक अध्यक्ष रहकर, हिंदी परिवार सिंगापुर की त्रैमासिक पत्रिका के संपादन में विशेष भूमिका निभाई है। मेरी पुस्तकें – जीवन के सुहावने पलों पर आधारित संस्मरिका “स्मृति के पदचिन्ह”, त्रेता युगीन अनुकरणीय नारी चरित पर आधारित पुस्तक “त्रेता की नारी” , पतंजलि योगशास्त्र और केनोपनिषद् उपनिषद का इंग्लिश भाषा में अनुवाद, कविता संग्रह “अवतल मन”, अग्र इतिहास पर पुस्तक, अहिंसा परमोधर्म – बच्चो के लिए प्रेरक लघु नाटिका और अन्य दर्जनों कविताएँ और कहानियाँ नूज़ीलैण्ड, सिंगापुर, भारत की कई पत्र-पत्रिकों में प्रकशित हो चुकी है भारतीय उच्चायुक्त द्वारा हिंदी सेवी पुरस्कार, सिंगापुर टॉस्टमास्टर्स (डिस्ट्रिक्ट) द्वारा ‘हॉल ऑफ़ फेम” पुरस्कार व अग्र समाज दवारा अग्र रत्न पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है।