गुरुओं की महिमा

तन-मन-धन सब किया है अर्पण,
शुद्धता का जो रहा है दर्पण,
चारों दिशाओं में गूँज रहा है- जिनका यह गुणगान,
आओ हम सब मिलकर करें, गुरुओं को प्रणाम !
शत शत गुरुओं को प्रणाम !

अज्ञानता के अंधेरों से जब, कई ज़ुल्म हुए नादान,
पल-पल, दर-दर ठोकरें खाता, भटक रहा था जब इंसान,
ऐसे में ‘गुर-नाम-जोत’ ही, आई सबके काम,
आओ हम सब मिलकर करें, गुरुओं को प्रणाम !
शत शत गुरुओं को प्रणाम !

मानव-धर्म की महानता से, जिनकी रही अमिट-पहचान,
हर-पल, हर-क्षण, मिलता रहा है जिनसे, सदा यह नेक गुर-ज्ञान,
जिनके आदर्शों की शिक्षा से, हुआ वीरान सुजान,
आओ हम सब मिलकर करें, गुरुओं को प्रणाम !
शत शत गुरुओं को प्रणाम !

अखंड रहे, यह गुर-ज्ञान की ज्योति,
अखंड रहे, यह दृढ़-संकल्प का मोती,
मिलकर खिले विश्व में, ऐसा अपूर्व-उद्यान,
आओ हम सब मिलकर करें, गुरुओं को प्रणाम !
शत शत गुरुओं को प्रणाम !

डॉ. संदीप कुमार (वरिष्ठ हिंदी अध्यापक)
(द् न्यू पब्लिक विद्यालय, सेक्टर-18 ‘बी’, चंडीगढ़)

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               संक्षिप्त जीवन परिचय

मैं ‘डॉ. संदीप कुमार’ पिछले 18 वर्षों से चंडीगढ़ में ‘हिंदी शिक्षक’ के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहा हूँ | वर्तमान में मैं ‘द् न्यू पब्लिक विद्यालय, सेक्टर–18 ‘बी’, चंडीगढ़ में ‘वरिष्ठ हिंदी अध्यापक’ के रूप में नियुक्त हूँ | मुझे प्रभावी शिक्षण, कविता लेखन, गायन व समाज सेवा में गहन रूचि है | मेरी यह प्रबल मान्यता है कि ‘एक आदर्श शिक्षक’ ही अपनी कक्षा के संपूर्ण विद्यार्थियों के समग्र विकास को प्राथमिकता देकर अपने प्रयत्नों को कार्यरूप देता है | मैंने सदैव इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर हिंदी विषय के प्रति मूल्यपरक अध्ययन व अध्यापन को प्राथमिकता दी है और विद्यार्थियों में एक सुसंस्कृत, सभ्य, सक्रीय व उन्नत व्यक्तित्व की प्रबल स्थापना की है |
हिंदी-शिक्षण को विशिष्ट, प्रगतिशील एवं रचनात्मक बनाने व ‘उत्कृष्ट समाज सेवाओं’ में योगदान हेतु मुझे कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं |

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