जिसने हमें पढ़ना लिखना सिखाया।
क़लम किताब से परिचित करवाया।
जिसकी कृपा से मुक़ाम मिल पाया।
ज्ञान के दीप को जिसने जगमगाया।
शिक्षक से बढ़कर कोई नहीं महान।
शिक्षक से है मेरी दुनियाँ में पहचान।
जो शिष्य रहता है शिक्षक के क़रीब।
जागता है उसका सोया हुआ नसीब।
ज्ञान का सूरज सदा रहता उसके साथ।
जो शिक्षार्थी सुनता है शिक्षक की बात।
शिक्षक है पारसमणी बनाते हमें सोना।
शिशिक्षक के चरणों से कभी दूर न होना।
मंज़िल की राह को बनाते है आसान।
महामूर्ख से हमें बनाते है महाविद्वान।
शिक्षक तोड़ते हैं कशमकश की जंज़ीर।
सुनहरे भविष्य की बेहतर बनाते तस्वीर।
आओ मिलकर शिक्षक दिवस मनाएं।
शिक्षक के चरणों में सब शीश झुकाएं।
शिक्षक का मोल हम सब को समझाएं।
अपना जीवन सफ़लता की ओर ले जाएं।
विवेक शर्मा